राष्ट्रीयकृत और गैर-राष्ट्रीयकृत बैंक में क्या अंतर है (Difference Between Nationalized And Non-nationalized Bank) इस छोटी सी प्रश्न का उत्तर खासकर बैंकिंग परीक्षाओ की तैयारी करने वाले प्रत्येक प्रतियोगियो को अवश्य ही पता होनी चाहिए । जी हां दोस्तों आपलोग भलीभांति जानते है हमारें देश भारत में कई प्रकार के बैंक मौजूद है जिसमे भारत सरकार का स्वामित्व वाला यानि सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक, निजी क्षेत्र का बैंक, विदेशी क्षेत्र का बैंक, सहकारी बैंक मौजूद है, और आज-कल तो अनेक प्राइवेट कंपनीया भी आ चुकी है जो एप्लिकेशन के माध्यम से लोगों को बैंकिंग सेवाए प्रदान कर रही है । सिधे मुद्दे पर बात किया जाए राष्ट्रीयकृत बैंक और गैर-राष्ट्रीयकृत बैंक किसे कहते हैं और इनके बीच क्या अंतर है तो इसके बारें में जानने के लिए आपको संपूर्ण आर्टिकल को पढ़ना होगा ।



राष्ट्रीयकृत और गैर-राष्ट्रीयकृत बैंक में क्या अंतर है (Difference Between Nationalized And Non-nationalized Bank)
राष्ट्रीयकृत और गैर-राष्ट्रीयकृत बैंक में क्या अंतर है (Difference Between Nationalized And Non-nationalized Bank)




राष्ट्रीयकृत बैंक किसे कहतें हैं (Nationalized Bank Are Called)


राष्ट्रीयकृत बैंक उन बैंकों को कहा जाता है जिसमें 50% से अधिक की हिस्सेदारी सरकार का होता है एवं इस प्रकार के बैंकों को सरकार द्वारा ही नियंत्रण और संचालित किया जाता है । शायद आप जानते होंगे पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बरौदा, सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक ये सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों के उदाहरण है और इन बैंकों को सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक या सरकारी बैंक भी कहा जाता है ।



गैर-राष्ट्रीयकृत बैंक किसे कहते हैं (Non-nationalized Bank Are Called)


गैर-राष्ट्रीयकृत बैंक उन बैंकों को कहा जाता है जिसमें निजी व्यक्तियों या निजी संस्थाओ का स्वामित्व यानि शेयर लगा होता है एवं इनके द्वारा ही नियंत्रित और संचालित किया जाता है । एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक, बंधन बैंक आदि ये सभी गैर-राष्ट्रीयकृत बैंकों के उदाहरण है यानि संपष्ट है की निजी क्षेत्रों के बैंक (Private Sector Banks) गैर-राष्ट्रीयकृत बैंक होते है और इनमें सहकारी बैंक (Cooperative Bank) भी शामिल हो सकते है । 



राष्ट्रीयकृत और गैर-राष्ट्रीयकृत बैंक में अंतर (Difference Between Nationalized And Non-nationalized Bank In Hindi)


राष्ट्रीयकृत बैंकों में लगभग 50 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी सरकार की होती है इसलिए इन बैंकों पर सरकार का नियंत्रण होता है जबकि गैर-राष्ट्रीयकृत बैंकों में शेयर पूँजी किसी न किसी निजी व्यक्ति, निजी समूह या निजी कंपनियों की लगी होती है और इनके द्वारा ही नियंत्रित और संचालित किया जाता हैं ।


राष्ट्रीयकृत और गैर-राष्ट्रीयकृत दोनो बैंक ग्राहकों को बैंकिंग सुविधाए लगभग एक समान प्रदान कराती है फिर भी देखा जाए तो गैर-राष्ट्रीयकृत बैंक राष्ट्रीयकृत बैंकों के मुक़ाबले बहुत तेज और अधिक बैंकिंग सुविधाए प्रदान कराता है लेकिन इसके लिए गैर-राष्ट्रीयकृत बैंक अपने ग्राहकों से राष्ट्रीयकृत बैंकों के मुक़ाबले कुछ ज्यादा ही शुल्क वसूल करता है ।


राष्ट्रीयकृत बैंक सरकार के स्वामित्व एवं नियंत्रण वाला बैंक है और इन बैंकों को बाजार में आये हुए काफी वर्ष हो चुके है इसलिए ग्राहकों का विश्वास राष्ट्रीयकृत बैंकों पर ज्यादा होती है क्योंकि ग्राहकों को लगता है राष्ट्रीयकृत बैंक में उनका पैसा सुरक्षित होता है जबकि गैर-राष्ट्रीयकृत बैंकों का इतिहास भी काफी पुराना है फिर भी कुछ बैंक सही ढंग से संचालित ना करने के स्थिति में बंद हो गए और लोगो का पैसा भी डुब गया इसलिए गैर-राष्ट्रीयकृत बैंक लोगों का विश्वास जितने में विफल रही है ।


राष्ट्रीयकृत बैंकों में नियुक्ति पाने हेतु सरकार द्वारा बनाये गए दिशा-निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होता है, इसके लिए प्रतियोगियों को लिखित परीक्षा से लेकर कंप्यूटर टेस्ट और इंटरव्यू के साथ ग्रुप डिस्कशन आदि में भाग के बाद ही राष्ट्रीयकृत बैंकों में चयन हो पाता है, इस दौरान सरकारी कोटा प्रणाली से जुड़े नियमों का भी पालन किया जाता है, जबकि गैर-राष्ट्रीयकृत बैंकों में वॉक-इन-इंटरव्यू, रेफरल और केंपस रिक्रूटमेंट आदि के आधार पर चयन कर लिया जाता है, हाल कि बात किया जाए तो कुछ गैर-राष्ट्रीयकृत बैंक प्रतियोगीता परीक्षा का आयोजन करने लगे है, लेकिन सरकार की कोटा संबंधी नियमों का पालन गैर-राष्ट्रीयकृत बैंक नही करते है ।


राष्ट्रीयकृत बैंक अपने कर्मचारियों को इस तरह से प्रशिक्षित करता है जिससे कि वह लंबे समय तक आसानी से काम कर सकें, जबकि दूसरी ओर गैर-राष्ट्रीयकृत बैंकों में ऑन जॉब ट्रेनिंग प्रदान की जाती है ताकि कर्मचारी प्रतिस्पर्धा के अनुसार काम कर सके एवं गैर-राष्ट्रीयकृत बैंक बेहतर प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों को और भी ज्यादा प्रशिक्षित करने हेतु बाहर भी भेजते हैं ।


राष्ट्रीयकृत बैंकों में सरकार द्वारा बनाई गई नियम के मुताबिक विभिन्न पदो पर नियुक्ति और उस पद के लिए निर्धारित वेतन दिए जाते है, जबकि दूसरी ओर गैर-राष्ट्रीयकृत बैंकों में देखा जाए तो पद या वेतन योग्यता और अनुभव के आधार पर दिया जाता है ।


राष्ट्रीयकृत बैंकों में कार्यरत कर्मचारी अपनी नौकरी ज्यादा सुरक्षित समझते हैं क्योंकि इनके छोटी गलतियो पर सुधार करने का मौका मिल जाता है यानि इन्हे बाहर तभी किया जा सकता है जब ये बहुत बड़ी गलती करते है, वहीं दूसरी ओर गैर-राष्ट्रीयकृत बैंकों के कर्मचारी बेहद दबाव में कार्य करते है क्योंकि गलती करने के स्थिति में कर्मचारियों को नौकरी गंवाने की आशंका बनी रहती है । 


राष्ट्रीयकृत बैंकों में काम करने वाले कर्मचारियों को मामूली ब्याज दरों पर ऋण और पेंशन योजना जैसी सुविधाएं दिया जाता है, जबकि गैर-राष्ट्रीयकृत बैंक इस प्रकार की सुविधा नहीं देते हैं, परंतु कुछ गैर-राष्ट्रीयकृत बैंक समय-समय पर अपने प्रतिभाशाली कर्मचारियों को पुरस्कार देकर उत्साह जरूर बढ़ाते है ।


राष्ट्रीयकृत बैंक अपने कर्मचारियों को जरूरत के मुताबिक कहीं भी ट्रांसफर करते रहते हैं, जबकि गैर-राष्ट्रीयकृत क्षेत्र के बैंकों में देखा जाए तो कई बार कर्मचारी हमेशा एक ही स्थान पर काम करते रह जाते हैं यानि ट्रांसफर जैसी कोई समस्या नहीं होती है ।



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