बैंकों के राष्ट्रीयकरण के लाभ एवं हानियों का वर्णन कीजिए यह सवाल आपसे अवश्य ही प्रतियोगिता परीक्षा में पुंछे जा सकतें है, जी हाँ दोस्तों जैसा की आप भलीभांति जानतें होगें जब सरकार द्वारा किसी निजी यानि प्राइवेट बैंक को अपने अधीन कर लिया जाता है यानि प्राइवेट बैंक में 50% से अधिक की हिस्सेदारी बनाकर लेता है तो वह निजी वित्तीय संस्था राष्ट्रीयकृत बैंक, सरकारी बैंक या सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कहलाता है, आजादी के बाद भारतीय सरकार द्वारा बड़े पैमाने में पहली बार 1969 में 14 बड़े निजी बैंकों को और दूसरी दफा 1980 में 6 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण यानि सरकारीकरण किया गया था । लेकिन वर्तमान में कुछ वर्ष पूर्व भारतीय सरकार ने राष्ट्रीयकृत बैंकों को एक-दूसरे राष्ट्रीयकृत बैंक के साथ विलय करने के बाद अब सरकार ने कुछ राष्ट्रीयकृत बैंकों को निजीकरण करने का मन बना लिया है, अधिकांश लोग सरकार के इस नीति का विरोध भी कर रहे है । आईंये जानने की कोशिश करते है निजी बैंकों के राष्ट्रीयकरण के फायदें और नुकसान क्या है और वर्तमान समय में भारत सरकार राष्ट्रीयकृत बैंकों कों निजीकरण करने का फैसला क्यों किया है ।
बैंकों के राष्ट्रीयकरण के लाभ एवं हानियों का वर्णन कीजिए |
बैंकों के राष्ट्रीयकरण के लाभ (Benefits Of Nationalization Of Banks)
भारत में बैंकों का इतिहास बहुत पुराना है, निजी बैंकों के सरकारीकरण के लाभ जानने के लिए वर्तमान समय में कार्यरत राष्ट्रीयकृत बैंकों के इतिहास जानना बेहद जरूरी है, देश को आजादी मिलने के उपरांत भारतीय सरकार चाह रही थी देश में उपस्थित सभी निजी क्षेत्र के बैंक देश के विकास में योगदान दे यानि की कृषि क्षेत्र, छोटे उद्योग क्षेत्र में निवेश के साथ-साथ छोटे व्यापारी एवं आम नागरिकों को न्यूनतम दरों पर ऋण उपलब्ध करायें, मगर निजी क्षेत्र के बैंक ऐसा करने के बजाय केवल मुनाफा कमाने के उद्देश्य से बड़े-बड़े धनपतियों को ही ऋण उपलब्ध एवं बैंकिंग सेवाए मुहैया कर रही थी, निजी बैंकों की यह रवैया देख आखिरकार भारत सरकार ने 1969 में 14 निजी बैंकों को और 1980 में 6 निजी बैंकों को अपने अधीन लेते हुए राष्ट्रीयकृत घोषित कर दिया जिसके बाद छोटें उद्योग, छोटे व्यापारी एवं किसानों के साथ साथ आम नागरिकों को न्यूनतम दरों पर ऋण एवं बैंकिंग सुविधाए राष्ट्रीयकृत बैंक यानि सरकारी बैंकों द्वारा मुहैया होने लगी जिसके फलस्वरूप देश के आर्थिक विकास में गति देखी गई । यहां पर गौर करने वाली बात है की अब वर्तमान समय के निजी क्षेत्र के बैंक भी राष्ट्रीयकृत बैंकों के राह पर चल पड़ा है वरना एक समय ऐसा था की निजी क्षेत्र के बैंक केवल मुनाफा कमाने के चक्कर में पुंजीपतियो को ही अपनी बैंकिंग सेवाए प्रदान कर रहे थे । अंततः कुल मिलाकर देखा जाए तो आजादी के बाद सरकार को बैंकों के राष्ट्रीयकरण से देश के आर्थिक विकास के साथ-साथ समाजिक विकास में मदद मिली है ।
बैंकों के राष्ट्रीयकरण के हानियां (Disadvantages Of Nationalization Of Banks)
बैंकों के राष्ट्रीयकरण के नुकसान की बात किया जाए तो आजकल लगभग सभी राष्ट्रीयकृत बैंक कमाने के वाबजूद भी घाटे में चल रही है इसका मुख्य वजह ये है की राष्ट्रीयकृत बैंकों को नुकसान पहुंचाने वाले राष्ट्रीयकृत बैंक के कर्मचारी, सरकार और जनता जिम्मेवार है, मतलब राष्ट्रीयकृत बैंकों के कर्मचारी छोटी से छोटी काम को टाल-मटोल करतें हुए पायें जाएगें और अधिकांश जनता राष्ट्रीयकृत बैंक से ऋण लेने के बाद चुकता करने में असमर्थता दिखाते है एवं नेता चुनाव जीतने के लिए बैकों का ऋण मांफ कर देने की घोषणा कर देते है जिसका बोझ राष्ट्रीयकृत बैंकों को ही उठना परता है ।
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