भारतीय रिज़र्व बैंक का राष्ट्रीयकरण कब हुआ था Bhartiya Reserve Bank Ka Rashtriyakaran Kab Hua Tha इसका उत्तर जानने से पहले आईयें थोड़ा सा संक्षेप में भारतीय रिज़र्व बैंक के इतिहास पर नज़र डाल लेतें है । दोस्तों भारतीय रिज़र्व बैंक जिसे ब्रिटिश शासन काल में ब्रिटिश सरकार द्वारा 1 अप्रैल 1935 को भारत में स्थापित किया गया था यानि सरकार द्वारा ब्रिटिश संसद में भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 पारित किया गया जिसके अनुसार 1 अप्रैल 1935 में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) का गठन हुआ । शुरूआत में भारतीय स्टेट बैंक पूर्णतया सरकारी संस्था नही था, बल्कि सयुंक्त स्वमित्व वाली निजी संस्था थी अर्थात कुछ स्वमित्व सरकार के पास तथा अधिकांश निजी कारोबारियों के पास था । लेकिन आजादी प्राप्ती के तुरंत बाद भारतीय सरकार द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक पर पूर्ण रूप से स्वामित्व बनाने के साथ-साथ भारतीय रिज़र्व बैंक का राष्ट्रीयकरण किया गया । जिसके बाद सें भारतीय रिज़र्व बैंक भारत में केंद्रीय बैंक के रूप में भारत के सभी बैंकों का संचालन एवं भारत की अर्थव्यवस्था को नियन्त्रित करता है । चलिए अब सिधे मुद्दे पर बात करतें है आरबीआई का राष्ट्रीयकरण कब हुआ RBI ka rashtriyakaran kab hua



भारतीय रिज़र्व बैंक का राष्ट्रीयकरण कब हुआ?
भारतीय रिज़र्व बैंक का राष्ट्रीयकरण कब हुआ?




भारतीय रिज़र्व बैंक का राष्ट्रीयकरण कब हुआ था


भारत रिज़र्व बैंक की स्थापना ब्रिटिश संसद द्वारा बनाया गया कानून भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 के तहत 1 अप्रैल 1935 में हुई थी एवं आजादी के बाद भारतीय सरकार द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक का राष्ट्रीयकरण 1 जनवरी 1949 में किया गया था ।



भारतीय रिज़र्व बैंक के पांच प्रमुख कार्य - Five Main Functions Of Reserve Bank Of India


भारत में रिज़र्व बैंक के पांच प्रमुख कार्य (Five Main Functions Of Reserve Bank In India) नीचे निम्नलिखित प्रकार के है:-


1. बैंक और सलाहकार के रूप में कार्य

2. देश की मुद्रा छापने के कार्य

3. वाणिज्यिक बैंकों का निरीक्षण कार्य

4. विदेशी मुद्रा भंडार का संरक्षण कार्य

5. आर्थिक विकास का प्रोत्साहन कार्य 



सरकार के बैंक और सलाहकार के रूप में कार्य


रिज़र्व बैंक (Central Bank) भारत सरकार का बैंक, एजेंट एवं वित्तीय परामर्शदाता के रूप में कार्य करता है । यानि जरूरत परने पर भारतीय रिजर्व बैंक सरकार को बिना ब्याज ऋण देने तथा सरकार के लिए प्रतिभूतियो, ट्रेजरी बिलों आदि का भी क्रय-विक्रय करता है । देश का सर्वोच्च बैंक होने के नाते यह सरकार के आर्थिक, वित्तीय एवं मोद्रिक विषयों पर सलाह देने के कार्य भी करता है ।


देश के मुद्रा छापने और जारी करने के कार्य


किसी भी देश का नोट छापने और जारी करने के कार्य वहां के केंद्रीय बैंक करता है क्योंकि देश के सरकार द्वारा नोट छापने और जारी करने का अधिकार केवल केंद्रीय बैंक को प्राप्त होता है । भारत में सभी प्रकार के नोट भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा छापे और जारी किए जाते है । 


सभी वाणिज्यिक बैंकों का निरीक्षण कार्य


भारतीय रिज़र्व बैंक को बैंकों का बैंक भी कहा जाता है क्योंकि आम लोगों का अकाउंट वाणिज्यिक बैंक में होता है और वाणिज्यिक बैंक का अकाउंट केंद्रीय बैंक में होता है । एवं सभी वाणिज्यिक बैंकों का लाइसेंस जारी, लाइसेंस रद्द, ऋण देने, सार्वजनिक वाणिज्यिक बैंकों को एक दूसरे में विलय एवं वाणिज्यिक बैंकों के सभी कार्यो पर नजर रखने के काम भारतीय रिजर्व बैंक करता है ।


विदेशी मुद्रा भंडार का संरक्षण कार्य


विदेशी विनिमय दर को स्थिर रखने के उद्देश्य से भारतीय रिजर्व बैंक विदेशी मुद्राओं को खरीदता और बेचता भी है एवं देश के विदेशी मुद्रा भंडार की सुरक्षा भी करता है । विदेश विनिमय बाज़ार में जब विदेशी मुद्रा की आपूर्ति कम हो जाती है तो भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बाजार में विदेशी मुद्रा को बेचा जाता है जिससे कि इसकी आपूर्ती बढाई जा सके और जब विदेशी मुद्रा की आपूर्ति अर्थव्यवस्था में बढ़ जाती है तो केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा बाजार से विदेशी मुद्रा को खरीदता है ।


आर्थिक विकास का प्रोत्साहन कार्य 


भारतीय रिज़र्व बैंक देश के आर्थिक विकास के लिए कई तरह के विकासात्मक तथा प्रोत्साहन संबंधी कार्य करते हैं । एक ओर वह मुद्रा तथा पूंजी बाजार का विकास करता है तथा दूसरी ओर देश के आर्थिक विकास हेतु कृषि तथा उद्योगों को उचित वित्त प्रदान भी करता है । यह आर्थिक नियोजन की सफलता के लिए पर्याप्त वित्त भी प्रदान करता है ।


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