चेक बाउंस होने पर क्या होता है?

चेक बाउंस होने पर क्या होता है (Check Bounce Hone Par Kya Hota Hai) जानने आये है तो आपका स्वागत है । दोस्तों आज के वर्तमान दौर में ऑनलाइन लेन-देन पॉपुलर हो गया हो, लेकिन अभी भी अधिकांश लोग चेक के जरिए पेमेंट करना पसंद करते हैं, क्योंकि चेक से लेनदेन करना सुरक्षित माना जाता है । परंतु चेक से पेमेंट बहुत सोच समझकर करना चाहिए, यानी चेक भरते समय काफी सावधानी बरतने की जरूरत पड़ती है, थोड़ा सा भी चूक होने पर चेक बाउंस हो सकता है, जिसके बाद जुर्माना भरना पड़ सकता है । कुछ विशेष परिस्थितियों में चेक बाउंस होने के स्थिति में मुकदमा भी चलाया जा सकता है और जेल की हवा भी खानी पड़ जाती है । इस लेख में आईंये विस्तारपूर्वक जानते है चेक किन कारणों से बाउंस होता है



चेक बाउंस होने पर क्या होता है?
चेक बाउंस होने पर क्या होता है?




चेक बाउंस होने के कारण क्या है?


चेक बाउंस होने के कई कारण होते हैं जैसे कि- खाता में बैलेंस न होना या कम होना, हस्ताक्षर बदलना, शब्‍द लिखने में गलती करना, अकाउंट नंबर में गलती, ओवर राइटिंग, ओवरड्राफ्ट की लिमिट को पार करना, चेक की समय सीमा का खत्म होना, चेककर्ता का अकाउंट बंद होना, जाली चेक का संदेह, चेक पर कंपनी की मुहर न होना आदि वजहो से चेक बाउंस हो जाता है ।



चेक बाउंस होने पर क्‍या होता है?


चेक बाउंस होने पर बैंक द्वारा ग्राहक से जुर्माना वसूल करता हैं, जो कि जुर्माना वजहों के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है, ये जुर्माना 150 रुपए से लेकर 750 या 800 रुपए तक हो सकता है । भारत में चेक बाउंस होने को एक अपराध माना जाता है । चेक बाउंस नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1881 के मुताबिक व्‍यक्ति पर मुकदमा चलाया जा सकता है, और उसे 2 साल तक की जेल या चेक में भरी राशि का दोगुना जुर्माना या दोनों लगाया जा सकता है । हालांकि ये उसी स्थिति में होता है जब चेक देने वाले के बैंक अकाउंट में पर्याप्‍त बैलेंस न हो और बैंक चेक को डिसऑनर कर दे ।



मुकदमे की नौबत कब आती है?


ऐसा बिल्कुल नहीं है कि चेक डिसऑनर होते ही भुगतानकर्ता पर मुकदमा चला दिया जाता है । चेक के बाउंस होने पर बैंक की ओर से पहले लेनदार को एक रसीद दी जाती है, जिसमें चेक बाउंस होने के वजह के बारे में बताया जाता है । इसके बाद लेनदार को 30 दिनों के अंदर देनदार को नोटिस भेजना होता है । यदि 15 दिनो के अंदर नोटिस का जवाब देनदार की तरफ से दिया जाता है तो लेनदार मजिस्ट्रेट की अदालत में नोटिस में 15 दिन गुजरने की तारीख से एक महीने के भीतर शिकायत दर्ज करा सकता हैं । अगर इसके बाद भी रकम का भुगतान नही किया जाता है तो देनदार के खिलाफ केस दर्ज कराया जा सकता है । परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 की धारा 138 के मुताबिक चेक का बाउंस होना एक दंडनीय अपराध है और इसके अलावा दो वर्ष की सजा और जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है ।



चेक बाउंस केस कितने दिन चलता है?


चेक बाउंस होने पर केस कितने दिन चलेगा, इसकी कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है, क्योंकि हमारे देश भारत में पहले से ही कई प्रकार के मामले अदालतों में लंबित पड़ी हुई है, इसलिए चेक बाउंस केस कितने दिन चलता है, इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है ।



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