जैसा की आपलोग भलीभांति जानते होगें जब सरकार किसी निजी बैंक को अपने अधीन यानि नियंत्रण में लेता है तो वह बैंक सार्वजनिक बैंक, सरकारी बैंक या राष्ट्रीयकृत बैंक के रूप में जाना जाता है । वर्तमान में भलें ही हमलोगों के बीच राष्ट्रीयकृत बैंक उपस्थित है परंतु सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों का इतिहास बहुत पुराना है और ये सभी बैंक ब्रिटिश शासनकाल के अंत तक भारत में निजी बैंक के रूप में कार्य कर रही थी । बैंकों के राष्ट्रीयकरण पर नज़र डाला जाए तो देश में भारतीय सरकार ने 1969 में बड़े पैमाने पर 20 निजी बैंकों को और दूसरी बार 1980 में 6 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था । आईयें जानतें है स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में बैंकों का राष्ट्रीयकरण के कारण क्या थे? इतनी बड़ी संख्या में बैंकों का राष्ट्रीयकरण क्यों किया गया और वर्तमान में सरकार द्वारा फिर से बैंकों का निजीकरण क्यों किया जा रहा है?
भारत में बैंकों का राष्ट्रीयकरण के कारण |
भारत में बैंकों का राष्ट्रीयकरण के कारण
देश में स्वतंत्रता के बाद भारतीय सरकार चाह रही थी देश में कार्यरत सभी निजी क्षेत्र के बैंक देश के विकास में अपना योगदान दे अर्थात निजी बैंक कृषि क्षेत्र में, छोटे उद्योग क्षेत्र में निवेश के साथ-साथ छोटे व्यापारी एवं आम जनता को न्यूनतम दरों पर ऋण उपलब्ध करायें, परंतु देश में उपस्थित सभी प्राइवेट बैंक ऐसा करने के बजाय केवल मुनाफा कमाने के उद्देश्य से बड़े-बड़े धनपतियों को ऋण उपलब्ध एवं बैंकिंग सुविधाए मुहैया करा रही थी, जिसके कारण देश के आर्थिक विकास एवं समाजिक विकास सुस्त गति से बढ़ रही थी । निजी बैंकों का यह रवैया देख आखिरकार भारत सरकार ने 1969 और 1980 में कुल 20 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया । सरकार द्वारा इतनी बड़ी संख्या में निजी बैंकों का नियंत्रण लेने का बस एक ही इरादा था छोटें उद्योगों, छोटे व्यापारीयों, छोटे किसानों के साथ साथ आम नागरिकों को बैंकिंग सुविधाए प्रदान किया जाए जिससे कि देश के साथ साथ समाजिक विकास तेज रफ्तार से हो, जो की शुरुआती दौर में सफल भी रहा था ।
वर्तमान में राष्ट्रीयकृत बैंकों का निजीकरण के कारण
आज-कल सभी राष्ट्रीयकृत बैंक कमाने के बावजूद भी घाटे में चल रही है इसलिए मौजूदा समय में देखा जाए तो भारत सरकार निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण करने के बजाय राष्ट्रीयकृत बैंकों का निजीकरण करने में लगी है । वर्तमान समय में राष्ट्रीयकृत बैंकों का निजीकरण क्यों किया जा रहा है इस संदर्भ में सरकार जनता के समक्ष आधा-अधूरा स्पष्टीकरण अवश्य करता है, परंतु हाल के बिंदुओ पर नज़र डाला जाए तो राष्ट्रीयकृत बैंकों को निजीकरण की ओर पहुंचाने वाला राष्ट्रीयकृत बैंक के कर्मचारी, सरकार और जनता खूद जिम्मेवार है, क्योंकि अक्सर राष्ट्रीयकृत बैंकों के कर्मचारी छोटी से छोटी काम को टाल-मटोल करतें हुए पायें जाते है और अधिकांश जनता राष्ट्रीयकृत बैंक से ऋण लेने के बाद उस ऋण को वापस करने में असमर्थता दिखाते है एवं चुनाव के दौरान सरकार ॠणधारको का कर्ज मांफ करने का वादा कर देते है, तथा कुछ लोग ऐसे भी है जो राष्ट्रीयकृत बैंक से करोड़ो रूपए फ़र्जीवारा करने के उपरांत देश छोड़कर भाग निकले । अतत: सरकार द्वारा राष्ट्रीयकृत बैंकों का निजीकरण क्यों किया जा रहा है इसपर गौर किया जाए तो सरकार की नज़र वर्तमान समय में कार्यरत निजी क्षेत्र के बैंकों पर भी है जो की राष्ट्रीयकृत बैंकों से बेहतर मुनाफे के साथ लोगों को अच्छी बैंकिंग सुविधाए उपलब्ध करा रही है, इसलिए सरकार देश के अर्थ-व्यवस्था को गति प्रदान हेतू राष्ट्रीयकृत बैंकों को निजीकरण की दिशा में ले जाना चाह रही है ।
ये भी जानिए:-
बैंकों के राष्ट्रीयकरण क्या है?
राष्ट्रीयकृत बैंक किसे कहते है?
6 बैंकों का राष्ट्रीयकरण कब हुआ?
14 बैकों का राष्ट्रीयकरण कब हुआ?
भारत में कुल कितने राष्ट्रीयकृत बैंक है?
1980 में कितने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया?
1969 में कितने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया?
बैंकों के राष्ट्रीयकरण के लाभ और हानिया क्या है?
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