सैलरी अकाउंट और सेविंग अकाउंट में क्या अंतर है (Salary Account Aur Savings Account Me Kya Antar Hai) जानने आये हैं तो शायद आपको पता होगा सैलरी अकाउंट भी एक प्रकार का सेविंग अकाउंट ही होता है, परंतु सैलरी अकाउंट के नियम बाकी रेगुलर सेविंग्स अकाउंट के मुकाबले अलग होते हैं, यानि संपष्ट रूप में कहा जाए तो रेगुलर सेविंग अकाउंट के मुक़ाबले सैलरी सेविंग अकाउंट में कुछ विशेष लाभ तभी तक मिलते हैं जब तक खाते में नियमित वेतन का भुगतान होता रहता है । चलिए बिना देर किए विस्तारपूर्वक जानने की कोशिश करते है सैलरी सेविंग अकाउंट और रेगुलर सेविंग अकाउंट में क्या अंतर होता है यानि वेतन बचत खाता और नियमित बचत खाता में क्या अंतर होता है



सैलेरी अकाउंट और सेविंग अकाउंट में क्या अंतर है?
सैलेरी अकाउंट और सेविंग अकाउंट में क्या अंतर है?




सैलरी अकाउंट और सेविंग अकाउंट में अंतर (Difference Between Salary Account And Savings Account In Hindi)



1. सैलरी अकाउंट कंपनी या संस्था द्वारा कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए ओपेन कराया जाता है, जबकि सेविंग अकाउंट कोई भी आम आदमी ओपेन करा सकता है । 


2. सैलरी अकाउंट ओपेन कराते समय किसी भी तरह का पैसा जमा नही करना होता है, जबकि सेविंग अकाउंट ओपेन कराते समय बैंकों द्वारा बनायें गयें नियम के अनुसार पैसे जमा करना होता है ।


3. सैलरी अकाउंट में न्यूनतम बैलेंस बनाये रखने की आवश्यकता नही होती है, जबकि सेविंग अकाउंट में बैंकों द्वारा बनाये गए नियम के अनुसार न्यूनतम बैलेंस बनायें रखना पड़ता है ।


4. सैलरी अकाउंट होल्डर अपना डेबिट कार्ड अनलिमिटेड फ्री इस्तेमाल कर सकता है, जबकि सेविंग अकाउंट होल्डरों को लिमिटेशन होती है, और लिमिटेशन को पार करने के क्रम में बैंकों द्वारा शुल्क लिया जाता है  ।


5. सेविंग अकाउंट होल्डरों को बहुत ही आसानी से किसी भी प्रकार का ऋण मिल जाता है, जबकि सेविंग अकाउंट होल्डरों को थोड़ी सी परेशानियों का सामना उठाना पड़ता है ।




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