भारत में कई प्रकार के बैंक मौजूद है यदि वाणिज्यिक बैंक (Commercial Bank) और सहकारी बैंक (Cooperative Bank) की बात किया जाए तो आपलोग भलीभांति जानतें होंगे भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ़ बड़ोदा, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई ये सभी वाणिज्यिक बैंकों के नाम है एवं आंध्र प्रदेश राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड, बिहार राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड, छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक, गुजरात स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, गोवा स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड और हरियाणा राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड सहकारी बैंकों के नाम है, आईयें जानने की कोशिश करतें है वाणिज्यिक बैंक और सहकारी बैंक के बीच अंतर क्या है?



वाणिज्यिक और सहकारी बैंक के बीच अंतर क्या है? - Difference Between Commercial And Cooperative Bank
वाणिज्यिक और सहकारी बैंक के बीच अंतर क्या है? - Difference Between Commercial And Cooperative Bank




वाणिज्यिक और सहकारी बैंक के बीच अंतर - Difference Between Commercial Bank And Co-operative bank In Hindi


वाणिज्यिक बैंकों की स्थापना भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम के अनुसार किया जाता है, जबकि सहकारी बैंकों की स्थापना विभिन्न राज्यों के सहकारी समितियों से संबंधित विभिन्न अधिनियमों के आधार पर होती है  l


भारत के सभी वाणिज्यिक बैंकों पर बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 पूरी तरह से लागू है, जबकि सहकारी बैंक आंशिक रूप से इस अधिनियम का पालन करने के लिए बाध्य है ।


वाणिज्यिक बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक के नियंत्रण के अधीन होता है जबकि सहकारी बैंक सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार द्वारा निर्धारित नियमों के अधीन होते हैं ।


वाणिज्यिक बैंक खासकर मुनाफा कमाने के उद्देश्य से काम करते हैं जबकि सहकारी बैंक सहयोग और विकास के सिद्धांत पर काम करते हैं, इसी सिद्धांत की वजह से राज्य सहकारी बैंकों को आरबीआई द्वारा न्यूनतम दरों पर ऋण दिया जाता है ।


भारतीय रिज़र्व बैंक कानून के अनुसार प्रत्येक वाणिज्यिक बैंक को आरबीआई से ऋण लेने का अधिकार प्राप्त है, जबकि यह सुविधा का लाभ केवल राज्य सहकारी बैंकों मिलता है ।


वाणिज्यिक बैंक देश-विदेश किसी भी जगह अपनी शाखाए स्थापित कर सकते हैं जबकि प्राथमिक सहकारी बैंक अपने संबंधित गांवों में और जिला सहकारी बैंक अपने संबंधित जिले के सीमा के अंदर ही बैंकिंग गतिविधियां कर सकते हैं ।


सहकारी बैंकों के अपेक्षा वाणिज्यिक बैंकों में विभिन्न प्रकार के बैंकिंग सेवाएँ देने की क्षमता अधिक होती है । इसलिए भारत में वाणिज्यिक बैंकों का दायरा सहकारी बैंकों की अपेक्षा अधिक विस्तृत है ।



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